Samadhan Episode – 000928 Self-Confidence

CONTENTS:

1. जीवन में सफ़ल होने के तीन सूत्र |

2. स्वयं में विश्वास |

3. लोग जो हमसे ईर्षा रखते हैं, उन लोगों को कैसे handle करे |

 

बी.के. मृत्युंजय भाई

अपने जीवन में हर व्यक्ति सफ़ल होना चाहता है, हर कार्य में सफ़ल होना चाहता है. सफ़ल होने के

लिए अगर आप अपने जीवन के तीन सूत्र बताना चाहें, जिसे जीवन में धारण करने से जो भी कार्य

हाथ में लिया है उसमे सम्पूर्ण सफ़लता प्राप्त हो.

सबसे पहले जो सूत्र का आधार है, वो है स्वयं में विश्वास और जिनके साथ हम मिलकर कार्य करते

हैं उनमे भी विश्वास. तीसरा, जो कार्य हम करने वाले हैं, जिसकी हम योजना बनाते हैं उस कार्य में

पूर्ण विश्वास. उसका पूर्ण picture आपके सामने clear होना चाहिए. उसमे कोई ambiguity नहीं होनी

चाहिए, कोई confusion नहीं होना चाहिए, स्पष्टता होनी चाहिए. दूसरा, कार्य करने में सरल स्वभाव

होना चाहिए. हम इस कार्य के निमित्त हैं तो अहम भाव आ जाए, अधिकार का भाव आ जाए, प्रशंशा

की इच्छा हो जाए, ये सोच बहुत खराब है. इससे मुक्त रहेंगे तो automatically सफ़ल हो जायेंगे.

तीसरा है मन की और सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाले के लिए पवित्रता की शक्ति होनी चाहिए, pure

conscious जो रहेगा उसको सफ़लता मिलेगी. इस धरती पर हमे एक ही शक्ति अनुभव होती है कि

परमात्मा करन-करावनहार है, हम सभी निमित्त बनें. वो करता भी है और कराता भी है. वो कराने के

लिए ताकत भी देता है और नयी-नयी युक्तियाँ भी देता है. वो सिर्फ हमारे लिए ही नहीं ईश्वरीय

परिवार के सभी बच्चों के लिए touching देता है. कुछ लोग ज़्यादा अनुभव use करते हैं, ज्यादा लाभ

लेते हैं, कुछ लोग अटक जाते हैं. तो ऐसे लोगों को मार्गदर्शन देना हमारा कर्तव्य बनता है. मेरे जीवन

में भी कभी ऐसी परिस्थिति आती है तो मैं योग करता हूँ, साइलेंस में बैठता हूँ. बाबा किसी न किसी

रीती से मुझे मुक्त करा देते हैं. इसके लिए निस्वार्थ भाव, एक करन-करावनहार बाप है इस बात पर

निश्चय होना चाहिए.

 

आपने सफ़लता-दर-सफ़लता अर्जित की, इस मुकाम तक पहुंचे, बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो हमसे

ईर्षा रखते हैं, तो उन लोगों को आपने कैसे handle किया, कैसे अपने आपको स्थिर रखा?

ऐसी परिस्थिति भी आई है, पर बाबा कहते हैं कि ऐसी बातें आती हैं तो उनको भूल जाओ, सोचो

नहीं उसके बारे में. परन्तु उनके प्रति दयाभाव और प्रेमभाव हो. ऐसी बातें तो मन में भी मत रखो.

उनके प्रति शुभभावना हो. शुभभावना रखने से कुछ समय के अंदर change आ जाता है. थोड़े समय

के लिए कठिनाई आ सकती है. परन्तु जो ज्ञान की ज्योति आपके जीवन में है, उस पर चलेंगे तो

अंधकार की ये जो छोटी-छोटी बातें आती हैं, दीवारें आती हैं ये कुछ ही समय में टूट जाती हैं. ये

दीवारें एक मोमबत्ती की तरह पिघल जाती हैं. फिर वो खुद ही हमारे सहयोगी बन जाते हैं. हमने देखा

है ईर्षा, द्वेष, नफ़रत, दूसरों को गिराने का रास्ता है. ये ऊँचा बनने की विधि नहीं है. बाबा कहते हैं

कि विघ्न आना माना ये तो तीव्र गति से पुरुषार्थ करने की विधि हो गई. विघ्न आता है तो हम high jump कर

सकते हैं. टकराव करने की परिस्थिति में नहीं जाना है. बाबा कहते हैं कि जब विघ्न

आता है तो विघ्नों की अनुभूति करके अनुभवी बन जाते हो. विघ्नों का काम है हमारे रास्ते में आना,

और हमारा काम है उन्हें हटाकर आगे बढना.

 

जब कभी बड़े विघ्न और समस्याएं सामने आ जाते हैं, तो पहला काम आप क्या करते हैं?

सबसे पहले मैं उसके कारण के बारे में सोचता हूँ कि मेरे कारण आया है या दूसरों के संस्कार के

कारण आया है! इन कारणों को पहचानने के बाद, यदि ये मेरे कारण है तो मैं इनका समाधान ढूंढता

हूँ ज्ञान के आधार से. चिन्तन चलता है कि मुझमे ज्ञान की इतनी कमी क्यूँ है! मैंने देखा समाज में

जितने भी महात्मा हैं, धर्मस्थापक लोग आये, उनके जीवन में बहुत समस्याएं और परिस्थितियाँ

आईं, बहुत से लोगों ने उनकी आलोचना की परन्तु उन सभी के मन में ऐसे लोगों के प्रति शुभ

भावना थी. आज भी हम देखते हैं ब्रह्मा बाबा के सामने बहुत सारी परिस्थिति आईं. लौकिक, समाज,

सरकार, जो बच्चे जुड़े थे उनकी तरफ़ से भी समस्याएँ आईं. इतने लोगों की पालना करते हुए,

समाधान देते हुए, उनको आगे बढ़ाने का बीड़ा उन्होंने उठाया था. आज भी बाबा ने मुरली में कहा,

कि बाबा पालनहार है, हमको पालना दिया, कभी उनकी कमज़ोरी को नहीं देखा. बाबा के जो आदर्श हैं

सदा हमारे सामने हैं. उन्ही आदर्शों पर हमारे दादी लोग भी चले. दादी प्रकाशमणि, मम्मा, दादी

जानकी, दादी हृदयमोहिनिजी, ये सभी एक spiritual आर्मी हैं इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय की. ये सभी

लोग बाबा को एक आदर्श मानकर चल रहे हैं.

 

जो लोग ग्रहस्थी हैं, कार्य-व्यवहार में हैं उन लोगों पर भी लगातार समस्याएं आती रहती हैं. कभी

परिवार की तरफ़ से, कभी व्यापारिक क्षेत्र की तरफ़ से. तो जीवन में समस्याओं का समाधान वो कैसे

करें? उनके सामने जो समस्याएँ आती हैं उनके लिए आप क्या spiritual tips देंगे?

अध्यात्मिक ज्ञान हर समस्याओं का समाधान हो सकता है. एक तो सहनशक्ति भी होनी चाहिए

परिस्थितियों, विघ्नों को सहन करने के लिए. सहनशक्ति एक दैवी गुण है, ये कमजोरी का लक्षण

नहीं है. गांधीजी ने भी बहुत सहन किया था आन्दोलन के time पर. जो बड़ा बनना चाहते हैं उन्हें

पहले सहन करना होता है. इसके साथ-साथ क्षमा करने का भी गुण चाहिए. और खुद पर से कभी

विश्वास नहीं खोना है. अपने रास्ते को नहीं बदलना चाहिए. इसके लिए अपनी प्यूरिटी को deviate

नहीं करना है. अपना स्वभाव, सोच, पवित्रता के रास्ते को छोड़कर के दूसरों के तरह चलने का मन

नहीं बनाना चाहिए. दूसरी बात है कि स्वयं में भी कोई न कोई कमज़ोरी रहती है. उस कमी को

निकालने के लिए एक तो अध्यात्मिक शक्ति और दूसरा योग बहुत मदद करता है. मैं सभी को यही

सुझाव देता हूँ कि सभी योगी और पवित्र बनें. बाबा भी हमे यही message देते हैं. योगी का मतलब ये

नहीं है कि हमें सन्यास लेने की ज़रूरत है. इसका मतलब है कि negativity से सन्यास करो. अशुद्ध

और अपवित्र संकल्पों से मुक्त या दूर होने का संकल्प करो तो सहयोग automatically मिलेगा. बाबा

ने मुरली में कहा है कि मैं बुद्धू को बुद्धिवान बनाने के लिए आया हूँ. फ़िर बाबा ने कहा बुद्धिवान

माना पवित्रवान. जो पवित्रवान हैं वो सुख-शांति का अनुभव कर सकते हैं. जो पवित्र मन और संकल्प

रखंगे, पवित्र तन और पवित्र भाव रखेंगे, तो जीवन में आने वाली समस्या automatically dilute हो

जाती है. इसके लिए मैंने ब्रह्मा बाबा का एक आदर्श देखा, जो दादियों और बड़े भाई-बहनों में भी

देखा कि उनका सदा मुस्कुराता हुआ चेहरा अनेक समस्याओं का समाधान कर देता है.

 

ब्रह्माकुमारीज़ में आना क्यों जरूरी लगता है आपको? आप लोग लगातार ऐसे कार्यक्रम करते हैं,

लोगों को invite करते हैं तो क्या ज़रूरत है सभी को ब्रह्माकुमारीज़ में आने की?

हम लोग सदियों से विश्वास करते आये हैं कि seeing is believing. ब्रह्माकुमारीज़ कोई साधारण

संस्था नहीं है. एक आध्यात्मिक यूनिवर्सिटी है. जैसे अगर साइंस में आगे बढना है तो साइंस की

यूनिवर्सिटी में जाना होगा, वैसे ही अगर universal truth को समझना है या शाश्वत सत्य क्या है?

जीवन में निरंतर कुछ व्यक्ति के लिए, कुछ परिस्थिति के लिए, कुछ समय के लिए, जो सत्य है, वो

शाश्वत नहीं है, वो सत्य परिवर्तन होता जाता है इसके लिए मेरे जीवन में क्या अनुभव है! एक

शाश्वत सत्य है चाहे कोई भी काल या युग हो, कोई भी मनुष्यात्मा हो, उस सत्य की जो पहचान

मिलती है वो इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय में मिलती है. उस सत्यता के पथ पर मार्गदर्शन मिलता है

इस ईश्वरीय शिक्षा के माध्यम से. उस मार्गदर्शन से अपने भविष्य को कैसे उज्ज्वल बना सकते हैं वो

समझमें आता है, साथ-साथ में इस दुनिया का भविष्य क्या है, उसके लिए हमारा कर्तव्य क्या होना

चाहिए, उस कर्तव्य को हमें कैसे निभाना चाहिए, उसे निभाने में हमारे अंदर क्या कमियाँ हैं, ये सभी

बातें हमें ज्ञान के आधार से प्राप्त हो जाती हैं. इसके लिए जो भी इस संस्था से जुड़ते हैं चाहे दुःख

से, चिंता से, भय से, रोग से, वे इन सभी बातों से मुक्त हो जाते हैं. तीसरा, हमें इस समाज को

किस दिशा में ले जाना चाहिए. आजकल हर व्यक्ति अपनी तरफ़ खींचता है, फ़िर चाहे वो संत हो,

व्यापारी हो, नेता हो, और ऐसा समझते हैं कि बाकी सब खराब हैं. पर इस संस्था का एक vision है,

अगर बेहतर विश्व बनाना है तो इसके लिए हमको क्या करना चाहिए! यहाँ universal truth हमें मालूम

पड़ता है कि विश्व परिवर्तन करने के लिए हमें स्वपरिवर्तन करना है, world transformation through

self transformation. इस स्लोगन को अनुभव करना हो तो यहाँ आ कर के देखें. इस सिद्धांत को

जीवन में अपनाना हो तो यहाँ पर sample देखें. इन सिद्धांतों को जीवन में प्रस्तुत करने की विधि में

उनको क्या कर्तव्य करना चाहिए, उसका एक example यहाँ देख सकते हैं. मुझे इस बात की ख़ुशी

होती है कि जब मैं इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय में जुड़ा था, तब ईश्वरीय महावाक्यों में सुनने में

आता था कि बच्चे आगे चलकर लाखों भाई-बहन इसमें जुड़ेंगे, और हजारों सेवाकेंद्र खुलेंगे. परन्तु उस

समय में अपनेआप पर विश्वास करना मुश्किल था. पर आज वो सारी बातें सत्य हो गई हैं, हज़ारों

सेंटर खुल गये हैं, लाखों भाई-बहन जुड़ गये हैं. बाबा ने कहा हर वर्ग के लोगों को इसकी आवश्यकता

है. और साथ-साथ में हमें ख़ुशी है कि ऐसे लोगों की सेवा करने के लिए यथाशक्ति पुरुषार्थ करते हैं,

और बाबा उसमें सफ़लता देते हैं. इसिलए हम कहते हैं कि एक दिन विश्व की सभी आत्माएं यहाँ

आयेंगी और बाबा ने कहा था कि माउंट आबू एक दिन world pilgrimage centre बनेगा. तीर्थ स्थान

बनेगा. अभी तीर्थस्थान बनने की बात थोड़ी दूर है, वो हो भी जायेगा. परन्तु ज्ञान, योग, पवित्र स्थान

तो बन गया. जहाँ ज्ञान, योग, पवित्र, शांति स्थान है, एक-एक व्यक्ति प्रतिमूर्ती बन रहे हैं, तो ये

एक साधना लोगों को देखने के लिए मिलती है. निस्वार्थ सेवा क्या है, पवित्र संग क्या है, ज्ञान क्या

होता है, इसका अनुभव करने की आवश्यकता है. ये सभी आवश्यकताओं को देखते हुए मैं सभी भाई-

बहनों को, चाहे किसी भी धर्म, क्षेत्र, व्यवसाय, परिवार से जुड़े हुए हों, कहना चाहता हूँ कि सभी

ईश्वरीय परिवार में आ करके देखें. यहाँ वासुदेव कुटुंब का अनुभव होता है. लोग तो सदियों से कहते

आ रहे हैं वासुदेव कुटुंब. पर आज तो कुटुंब में भी कुटुंब नहीं है. आज का दृश्य तो सभी जानते हैं.

universal family क्या होती है वो यहाँ आ करके देख सकते हैं.

 

परमात्मा के बारे में यहाँ ज्ञान दिया जाता है, आपके पास क्या अनुभूति है? क्या परमात्मा सचमें हर

कार्य में हमारी मदद करते हैं? और सभी लोग परमात्मा की मदद प्राप्त कर सकें उसके लिए क्या

करें?

 

परमात्मा को देखने के लिए सबसे पहले अपनी मन की ऑंखें खोलनी होगी. इन स्थूल आँखों से तो

हम दुनिया को देखते हैं, परन्तु हमें सूक्ष्म ऑंखें चाहिए. जिसे ज्ञान की ऑंखें भी कहा जाता है.

परन्तु ज्ञान की आंख खोलने के लिए इस ईश्वरीय विद्यालय से 7 दिनों का कोर्स करना होगा. इसमें

बताते हैं आत्मदर्शन, जीवनदर्शन, परमात्म दर्शन की विधि क्या होती है, परमात्म मिलन की विधि

क्या होती है! किसी बड़े व्यक्ति से मिलना होता है तो उनके अनुसार तय्यारी करनी होती है, वेसे ही

जब परमात्मा से मिलन मनाना हो तो हमारी बुद्धि की क्या तय्यारी होनी चाहिए. बुद्धि की तय्यारी

के लिए भी यहाँ पहले प्रशिक्षण दिया जाता है. जब बुद्धि तैय्यार हो जाती है तब experience कर

सकती है. experience क्या चीज़ है उसकी भी पहले पहचान होनी चाहिए. लाखों भाई-बहनों ने इसका

अनुभव किया है. हज़ारों की संख्या में विदेशी भाई-बहन यहाँ आते हैं. उन्होंने भी अनुभव किया है.

उस अनुभव का सशक्तिकरण करने के लिए, और deep में जाने के लिए, उस अनुभव को समाज में

फेलाने के लिए, यहाँ की विधि को समझकर के जीवन में लाना, इससे उनकी निर्णयशक्ति और

विश्वास बढ़ता है. विदेशी भाई-बहनों को अनुभव होता है इसलिए वो अपना तन-मन-धन सब सफ़ल

करते हैं, नित्य जीवन में एकाग्रता का अनुभव करते हैं. साथ ही साथ प्रसन्नता, पवित्रता और

सहयोग का अनुभव करते हैं. एक good feeling का अनुभव करते हैं, और जहाँ good feeling है वहाँ

automatically एकता है.

 

सभी दर्शकों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

 

परमात्मा के महावाक्य बहुत ही सिंपल हैं, be योगी be होली, पवित्र रहो पवित्र जीवन जियो. दूसरा,

be clean and be clear. be pure and be peaceful. निश्चय बुद्धि विजयंती. इसके लिए अपनेआप में

निश्चय रखो, परिवर्तन में निश्चय रखो, पवित्रता में निश्चय रखो. बाबा ने कहा है कि इस रास्ते पर

 

अगर एक कदम आगे बढ़ाएंगे, तो हजार कदम आगे ले चलेंगे. मेरे जीवन का यही अनुभव है कि

निश्चय बुद्धि सफ़लता का foundation है. ओम शांति

 

 

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